हर खामोशी के पीछे एक सैलाब उमड़ने कॊ है खड़ा,
पर दुनिया के इन सवालों में कुछ तेज़ाब हॊता है ।
इंसान सोचता है कभी मिलेगा एक पल सुकून का
पर कुदरत का खुशी से कुछ इंतकाम होता है ।
चाहते हैं बहुत कुछ जो मिल नहीं पाता,
जो मिले उन पर नक़ाब दर नक़ाब होता है ।
हम मॉंगते रह जाते हैं एक लम्हा चाहतों का,
बस तभी धोखों का आना बेहिसाब होता है ।
पाना चाहते हैं सभी ये फ़लक, ये सितारे,
तभी मन का मन को बहकाना भी कमाल होता है I
हम गिड़गिड़ाते रह जाते हैं ख़ुद के आगे ख़ुद की ख़ातिर,
ऐसे में ख़ुद से हार जाना ही क्यों अंजाम होता है I
यूँ सुनो तो लगती है ये दास्तॉं कितनी अलग,
फिर भी ये सिलसिला कितना आम होता है I
हम खामोश से रह जाते हैं हर बार ख़ुद से लड़कर,
फिर भी क्यों यही सब बार बार होता है I
December 26, 2016 at 2:32 am
very nice Mam.
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January 8, 2017 at 4:38 pm
Awesome 👌 the
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April 28, 2017 at 1:59 pm
आपका लेखन अच्छा है, पर आपको उसे उत्कृष्ट करना होगा। उसमें कसाव, पैनापन और लाना होगा। 😊
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October 26, 2017 at 9:55 pm
Lajwab lekhan..bahut khub.
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October 28, 2017 at 4:30 pm
Thank you 🙂
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October 28, 2017 at 5:21 pm
swagat apka…
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