बीता हुआ जीवन

यह कविता एक मरते हुए व्यक्ति के आखिरी विचार हैं, जब वो ये चिन्तन कर रहा है कि उसने जीवन में आख़िर क्या खोया और क्या पाया ।

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जीत और हार

हर खामोशी के पीछे एक सैलाब उमड़ने कॊ है खड़ा,
पर दुनिया के इन सवालों में कुछ तेज़ाब हॊता है 
इंसान सोचता है कभी मिलेगा एक पल सुकून का
पर कुदरत का खुशी से कुछ इंतकाम होता है 

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