हर खामोशी के पीछे एक सैलाब उमड़ने कॊ है खड़ा,
पर दुनिया के इन सवालों में कुछ तेज़ाब हॊता है ।
इंसान सोचता है कभी मिलेगा एक पल सुकून का
पर कुदरत का खुशी से कुछ इंतकाम होता है ।
चाहते हैं बहुत कुछ जो मिल नहीं पाता,
जो मिले उन पर नक़ाब दर नक़ाब होता है ।
हम मॉंगते रह जाते हैं एक लम्हा चाहतों का,
बस तभी धोखों का आना बेहिसाब होता है ।
पाना चाहते हैं सभी ये फ़लक, ये सितारे,
तभी मन का मन को बहकाना भी कमाल होता है I
हम गिड़गिड़ाते रह जाते हैं ख़ुद के आगे ख़ुद की ख़ातिर,
ऐसे में ख़ुद से हार जाना ही क्यों अंजाम होता है I
यूँ सुनो तो लगती है ये दास्तॉं कितनी अलग,
फिर भी ये सिलसिला कितना आम होता है I
हम खामोश से रह जाते हैं हर बार ख़ुद से लड़कर,
फिर भी क्यों यही सब बार बार होता है I
very nice Mam.
LikeLike
Awesome 👌 the
LikeLike
आपका लेखन अच्छा है, पर आपको उसे उत्कृष्ट करना होगा। उसमें कसाव, पैनापन और लाना होगा। 😊
LikeLiked by 1 person
Lajwab lekhan..bahut khub.
LikeLike
Thank you 🙂
LikeLiked by 1 person
swagat apka…
LikeLike